The Impact of Ketu in the Third House - Lal Kitab 1941 - EP99 - Astrologer Vijay Goel

Learn about the impact of Ketu in the third house as per Lal Kitab 1941 in this insightful video by Astrologer Vijay Goel. Discover its effects on your life.

लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा निनयानवेवां वीडियो है। इसमे मैंने “केतु खाना नंबर 3” (जब कुंडली के तीसरे घर मे केतु स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
कुण्डली का तीसरा भाव पराक्रम भाव है। यह सहजेश भाव भी कहा जाता है । यह घर व्यक्ति के परिश्रम, बल, बाहु, पराक्रम आदि का है। तीसरे भावसे जातक के जिम्मेदार होने, फर्ज निभाने, दूसरों की सहायता करने की हद का पता चलता है। उत्साह, स्फूर्ति, दृष्टि के प्रभावशाली होने, चोरी एवं बीमारी का सम्बन्थ भी इसी भाव से देखा जाता है। जातक के जीवन में उतार चढ़ाव को भी यही घर दिखाता है।
तीसरे भाव में स्थित केतू आपको मिले जुले परिणाम देगा। यह आपको बलवान बनाने के साथ-साथ धैर्यवान भी बनाता है। आप दान पुण्य़ के कार्यों में विश्वास करते हैं यही कारण है कि आप दानशील पुरुषों की संगति में रहते हैं। बलसाली और धनवान होंगे। आप यशस्वी बनेंगे। स्त्री तथा खान-पान का सुख आपको खूब मिलेगा।
आप शत्रुओं का दमन करने वाले होंगे अर्थात आपके शत्रु आपसे भयभीत रहेंगे। इस भाव में स्थित केतू के कुछ अशुभ फल भी कहे गए हैं। इस कारण से आप कुछ व्यर्थ की चिंताओं से घिरे रह सकते हैं। मन में कोई अनजाना भय समाया रह सकता है। कभी-कभी चित्त में भ्रम और चिंता से व्याकुलता रह सकती है। आपका विश्वास भूत प्रेतों में हो सकता है। अथवा आप भूत प्रेतों को देवाताओं की संज्ञा दे सकते हैं।
किसी कारण से समाजिक भय रह सकता है। भाइयों को कष्ट रह सकता है। मित्र भी कुछ हद तक प्रभावित रह सकते हैं। मित्रों से हानि होने का भय रहेगा। आपकी भुजाओं में पीडा रह सकती है। यदि आप व्यर्थ के वाद विवाद से जुडे रहेंगे तो भी आपको परेशानी रह सकती है। हालाकि यह स्थिति आपको शत्रुओं से बचाएगी।
ये विवेचना लाल किताब
3 years ago
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