Unlocking the Mysteries of Mars in the Third House - Lal Kitab Astrology with Astrologer Vijay Goel

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लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा इक्यावनवाँ वीडियो है। इसमे मैंने “मंगल खाना नंबर 3 (जब कुंडली के तीसरे घर मे मंगल स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
कुंडली के तीसरे घर को वैदिक ज्योतिष में बंधु भाव कहा जाता है तथा जैसा कि इस घर के नाम से ही स्पष्ट है, कुंडली के इस घर से कुंडली धारक के अपने भाई-बंधुओं, दोस्तों, सहकर्मियों तथा पड़ोसियों के साथ संबधों का पता चलता है। किसी व्यक्ति के जीवन काल में उसके भाईयों तथा दोस्तों से होने वाले लाभ तथा हानि के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए कुंडली के इस घर का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना आवश्यक है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में तीसरा घर बलवान होता है तथा किसी अच्छे ग्रह के प्रभाव में होता है, ऐसे व्यक्ति अपने जीवन काल में अपने भाईयों, दोस्तों तथा समर्थकों के सहयोग से सफलतायें प्राप्त करते हैं। जबकि दूसरी ओर जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में तीसरे घर पर एक या एक से अधिक बुरे ग्रहों का प्रभाव होता है, ऐसे व्यक्ति अपने जीवन काल में अपने भाईयों तथा दोस्तों के कारण बार-बार हानि उठाते हैं तथा इनके दोस्त या भाई इनके साथ बहुत जरुरत के समय पर विश्वासघात भी कर सकते हैं। ऐसे व्यक्तियों के दोस्त आम तौर पर इनकी पीठ के पीछे इनकी बुराई ही करते हैं।
तीसरे स्थान में मंगल जातक को साहसी बनाता है ऐसा व्यक्ति पराक्रम और परिश्रम से अपने भाग्य का निर्माण करता है। आप अत्यन्त धैर्यशाली, साहसी और पराक्रमी व्यक्ति हैं कठिन परिस्थितियों में धैर्य रखना तो कोई आप से सीखे । परन्तु यदि मंगल पर शनि की दृष्टि है तो साहस और बल सब केबल दिखाबे के लिए होगा। आप बाहर से तो साहसी बनने की कोशिश करेंगे परन्तु अंदर से उतने ही डरपोक होते है।
तृतीय भाव में मंगल छोटे भ
4 years ago
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