Understanding the Impact of Venus in Third House - Lal Kitab 1941 with Astrologer Vijay Goel
Learn about the effects of Venus in the third house as per Lal Kitab 1941. Astrologer Vijay Goel delves into the significance of this placement in the birth chart.
लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा उनतालीसवा वीडियो है। इसमे मैंने “शुक्र खाना नंबर 3” (जब कुंडली के तीसरे घर मे शुक्र स्थित हो के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
जातक की जन्म कूण्डली में तीसरा भाव उसके पराक्रम और साहस की कहानी बताता है |इसके साथ साथ इन प्रमुख बातों के अतिरिक्त इस भाव से भई बहनों का सुख और यात्राओं के बारे में भी जाना जा सकता है। पराक्रम भाव होने पर व्यक्ति के बाहु बल का विचार किया जाता है. साहस, वीरता आदि के लिये भी तीसरे भाव देखा जाता है। कुण्डली में यदि तीसरा भाव कमजोर हो तो व्यक्ति के साहस में कमी देखी जा सकती है
जातक की मानसिक स्थिति की मजबूती भी यही भाव उसे देता है. इससे जातक कि रुचि व शौक देखे जाते है। यह घर लेखन की भी जानकारी देता है। इस भाव से जातक में संगीत के प्रति लगाव को भी देखा जाता है. इस घर में जो भी राशि होती है उसके गुणों के अनुसार व्यक्ति का शौक होता है
तृतीय (पराक्रम भाव)- इस भाव में शुक्र के प्रभाव से जातक सुखी, धनवान परन्तु उच्चस्तरीय कंजूस, विद्वान, चित्रकार, पराक्रम से भरा हुआ, भाग्यशाली तथा पर्यटन प्रेमी होता है। ऐसे व्यक्ति के कई भाई-बहिन होते हैं। लेखन कार्यों में यश प्राप्त करता है। ऐसे जातक के किसी भी यात्रा में किसी से प्रणय सम्बन्ध का योग होता है। इस भाव में शुक्र यदि अकेला हो तो अशुभ फल की अधिक उम्मीद होती है लेकिन यदि सूर्य प्रथम अथवा पंचम भाव में हो तो कुछ शुभ फल की आशा होती है।
शुक्र यदि स्त्री राशि (वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर व मीन) में हो तो जातक के विवाह में अवरोध आते हैं व वैवाहिक जीवन में भी क्लेश रहता है। द्विविवाह का भी योग होता है। उसका पुनर्विवाह तलाकशुदा अथवा विधवा या विधुर से होता है। ऐसा जातक काम-वासना से इतना अधिक पीड़
5 years ago