Secrets of Moon in Fifth House - Lal Kitab 1941 EP29 | Astrologer Vijay Goel

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लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा उनतीसवाँ वीडियो है। इसमे मैंने “चंद्रमा खाना नंबर 5” (जब कुंडली के पांचवे घर मे चंद्रमा स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
पांचवे भाव का स्वामी मंगल है और कारक ग्रह गुरु अर्थात बृहस्पति को माना गया है। और बृहस्पति भी पुत्र का कारक माना जाता है इसलिए कुंडली में बृहस्पति और पांचवे घर पर शुभ दृष्टि मनुष्य के जीवन में पुत्र अथवा पुत्री के द्वारा सुख की प्राप्ति को दिखाता है। पुत्र भाव के अलावा पांचवे भाव को पूर्व पुण्य का भाव भी कहा जाता है । ज्योतिष में यह विश्वास है कि किसी भी मानव को अपने संतानों की प्राप्ति अक्सर पूर्व पुण्यो के कारण ही होती है। कुंडली का पाँचवा घर व्यक्ति के मानसिक तथा बौद्धिक स्तर को दर्शाता है तथा उसकी कल्पना शक्ति, ज्ञान, उच्च शिक्षा, तथा ऐसे ज्ञान तथा उच्च शिक्षा से प्राप्त होने वाले व्यवसाय, धन तथा समृद्धि के बारे में भी बताता है। कुंडली का पाँचवा घर कुडली धारक के प्रेम-संबंधों के बारे में, उसके पूर्व जन्मों के बारे में तथा उसकी आध्यात्मिक रुचियों तथा आध्यात्मिक प्रगति के बारे में भी बताता है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली से उसकी संतान पैदा करने की क्षमता मुख्य रुप से कुंडली के इसी घर से देखी जाती है।
चंद्रमा की स्थिति पांचवे भाव मे होने पर माता ममतामयी होती है, शिक्षा में अड़चनें हो सकती हैं, एवं सरकारी कामों में लाभ मिलता है। जातक हमेशा सही तरीके से पैसा कमाने की कोशिश करेगा, वह कभी भी गलत तरीके नहीं अपनाएगा। उसके द्वारा समर्थित कोई भी जीत जाएगा। जातक अपने बच्चो तथा पत्नी से अत्यधिक प्यार करेगा और विशेष रूप से तेजस्वी और बलवान होगा। ऐसा जातक स्वेभाव से चंचल, सदाचारी, क्षमावान और शौकीन होता है। जात
4 years ago
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