Impact of Saturn in Fifth House (शनि खाना नंबर 5) - Lal Kitab 1941 - EP77 - Astrologer Vijay Goel
Watch Astrologer Vijay Goel analyze the impact of Saturn in the fifth house (Sut Bhav) in Lal Kitab 1941. Learn how this placement affects progeny and relationships.
लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा सतेत्तरवां वीडियो है। इसमे मैंने “शनि खाना नंबर 5” (जब कुंडली के पांचवे घर मे शनि स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
कुंडली के पाँचवे घर को भारतीय वैदिक ज्योतिष में सुत भाव अथवा संतान भाव भी कहा जाता है तथा अपने नाम के अनुसार ही कुंडली का यह घर संतान प्राप्ति के बारे में बताता है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली से उसकी संतान पैदा करने की क्षमता मुख्य रुप से कुंडली के इसी घर से देखी जाती है, हालांकि कुंडली के कुछ और तथ्य भी इस विषय में अपना महत्त्व रखते है। यहां पर यह बात घ्यान देने योग्य है कि कुंडली का पाँचवा घर केवल संतान की उत्पत्ति के बारे में बताता है तथा संतान के पैदा हो जाने के बाद व्यक्ति के अपनी संतान से रिश्ते अथवा संतान से प्राप्त होने वाला सुख को कुंडली के केवल इसी घर को देखकर नहीं बताया जा सकता तथा उसके लिए कुंडली के कुछ अन्य तथ्यों पर भी विचार करना पड़ता है।
कुंडली का पाँचवा घर बलवान होने से तथा किसी शुभ ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक स्वस्थ संतान पैदा करने में पूर्ण रुप से सक्षम होता है तथा ऐसे व्यक्ति की संतान आम तौर पर स्वस्थ होने के साथ-साथ मानसिक, शारीरिक तथा बौद्भिक स्तर पर भी सामान्य से अधिक होती है तथा समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सक्षम होती है।
दूसरी ओर कुंडली का पाँचवा घर बलहीन होने की स्थिति में अथवा इस घर के किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक को संतान की उत्पत्ति में समस्याएं आती हैं तथा ऐसे व्यक्तियों को आम तौर पर संतान प्राप्ति देर से होती है, या फिर कई बार होती ही नहीं।
यह भाव सूर्य का घर होता है। जो शनि का शत्रु ग्रह है। जातक घमंडी होगा। जातक को 48 साल तक घर का निर्माण नहीं करना
4 years ago