Exploring the Power of Moon in Sixth House - Lal Kitab 1941 EP30

Unlock the secrets of Moon in the Sixth House with Lal Kitab 1941 in this insightful video by Astrologer Vijay Goel. Discover the impact on health, enemies, and debts.

लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा तीसवाँ वीडियो है। इसमे मैंने “चंद्रमा खाना नंबर 6” (जब कुंडली के छठे घर मे चंद्रमा स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
जन्मपत्री में छठा घर बीमारी, शत्रु और ऋण का माना गया है जिसका कारक ग्रह मंगल है। छठा भाव यदि कमजोर हो तो जातक को बीमारी, ऋण और शत्रुओं से परेशानी आ सकती है। छठा भाव शत्रु का भाव है। किसका शत्रु? जाहिर रूप से लग्न का, शरीर का, जीवन का, जातक का। यह कमियों का भाव है। हमारी कमियां ही हमारी शत्रु हैं।
तीन सर्वाधिक अशुभ स्थानों, अर्थात षष्ठ, अष्टम व द्वादश स्थान में षष्ठ भाव द्वितीय स्तर पर आता है। अष्टम स्थान सर्वाधिक अशुभ है, इसके पश्चात षष्ठ तथा अंत में द्वादश स्थान अशुभ होता है। इस भाव से ऐसे सभी कार्य जो अधिक मेहनत से पूरे होते है, कर्मचारी, सेवक आदि का विचार इस भाव से करना चाहिए। इस भाव में शुभ ग्रहों का एक साथ स्थित होना, व्यक्ति को सेवा कार्यो में सदभाव व स्नेह का भाव देता है।
छठे भाव में स्थित चन्द्रमा (Moon in Sixth House) व्यक्ति को मानसिक संताप देने में समर्थ होता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा कुछ न कुछ सोचते रहता है और इसी कारण इनके चेहरे पर चिन्ता की झलक स्पष्ट रूप से दृष्टिगत होती रहती है। इस स्थान का चन्द्रमा वाला व्यक्ति अपने कार्य से कभी भी सन्तुष्ट नहीं होता यदि व्यक्ति नौकरी करता है तो बार-बार नौकरी में बदलाव चाहता है और करता भी है।
चंद्रमा की यह स्थिति आपको कभी-कभार किसी विशेष मामले में अपमानित भी करवा सकती है। लेकिन चन्द्रमा की यही स्थिति आपके बच्चों के लिए अनुकूल परिणाम दे सकती है। वे अपने जीवन काल में बहुत बडी उन्नति कर सकते हैं। आपके पिता के लिए भी यह स्थित शुभ परिणाम देगी और उन्हें किसी बडे पद पर प्रतिष्ठित कराएगी। ह
4 years ago
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