Impact of Ketu in Eighth House - Lal Kitab 1941 - EP104 - Astrologer Vijay Goel

Learn about the impact of Ketu in the Eighth House as per Lal Kitab 1941. Explore its effects on wealth, health, and spiritual pursuits with Astrologer Vijay Goel.

लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा एकसौचारवां वीडियो है। इसमे मैंने “केतु खाना नंबर 8” (जब कुंडली के आठवे घर मे केतु स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
कुंडली में आठवां भाव विरासत को दर्शाता है। घर के मुखिया की अचानक मृत्यु के बाद मिलने वाली संपत्ति आठवें भाव से देखी जाती है। शोध, गूढ़ विज्ञान, छुपा हुआ खजाना, खदान, कोयला, अनिरंतरता, विनाश, रिस्क, सट्टा व्यापार, लॉटरी, रहस्य, मंत्र, तंत्र, एवं आध्यात्मिक वस्तुओं को अष्टम भाव दर्शाता है।
कुंडली में अष्टम भाव आयु, गुप्तांग, मृत्यु, उपहार, बिना कमाये प्राप्त होने वाली संपत्ति, मृत्यु का कारण, चाह, अपमान, पतन, शमशान घाट, पराजय, दुख, आरोप, नौकर एवं बाधाओं को दर्शाता है।
यहां स्थित केतू के कुछ शुभ फल कहे गए हैं। अत: आप पराक्रमी और सदैव उद्यम करने वाले व्यक्ति हो सकतें हैं। आप अपने कामों के प्रति गंभीर रहते हैं। खेलकूद में भी आपकी गहरी रुचि होगी। आप सुखी रहेंगे। आप शीलवान व्यक्ति हैं। आपको खूब धनलाभ होगा। कई मामलों में आपको सरकार से भी धन की प्राप्ति हो सकती है।
अधिकांश मामलों में यहां स्थित केतू को अशुभफल देने वाला माना गया है। अत: आपको दुष्टजनों की संगति अधिक प्रिय होगी। आप लोभी और चालाक हो सकते हैं। किसी व्यक्ति को कष्ट पहुंचाने में आपको कोई हिचक नहीं होगी। आप जाने अंजाने कुछ ऐसे काम कर सकते हैं जो पाप संज्ञक हो सकते हैं। कभी-कभी आपके द्वारा किए कार्यों से विवेकहीनता परिलक्षित हो सकती है।
यहां स्थित केतू आपको गुह्यरोग, मुखरोग या दंत रोग देता है। यह स्थिति आर्थिक मामलों के लिए अच्छी नहीं होती। दूसरों को दिए हुए अपने द्रव्य को मिलने में रुकावट होती है। धन आगमन में व्यवधान आता है। दूसरों के धन और जन के प्रति आशक्ति हो सकत
4 years ago
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