The Impact of Ketu in the Ninth House - Lal Kitab 1941 - EP105 with Astrologer Vijay Goel

Learn about the impact of Ketu in the Ninth House in Lal Kitab 1941 with Astrologer Vijay Goel. Discover its effects on your life and destiny.

लाल किताब 1941 की विवेचन शृंखला का ये मेरा एकसौपाँचवां वीडियो है। इसमे मैंने “केतु खाना नंबर 9” (जब कुंडली के नौवे घर मे केतु स्थित हो) के बारे मे विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
जन्मकुंडली का नौवां घर सर्वाधिक शुभ घरों में गिना जाता है | इस घर का अपना विशेष महत्व है | अक्सर हम राजयोग के बारे में बात करते हैं | हर व्यक्ति की कुंडली में राजयोग और दरिद्र योग मिल जायेंगे | हर योग की कुछ समय अवधि रहती है | दो तीन साल से लेकर पांच छह साल तक ही ये योग प्रभावशाली रहते हैं | नवम भाव से बनने वाला योग पूरे जीवन में प्रभाव कारी रहता है |
यहां स्थित केतू आपको पराक्रमी बनाता है। आप अपने साथ कोई अस्त्र-शस्त्र लेकर चलना पसंद करेंगे। आप स्वभाव से उदार और दयालु होंगे। आप धर्म को महत्त्व देने वाले होंगे। दान-धर्म और तप में भी आपकी अच्छी रुचि होगी। आपके क्लेश और कष्ट क्षणिक होंगे। आपको म्लेक्ष जाति से लाभ होगा और वे आपके कष्टों को दूर करने में भी सहायक होंगे।
आपको विदेश या विदेशियों से भी लाभ होगा और इसी माध्यम से भाग्योदय होगा। आप समाज में विशेष आदरणीय तो नहीं हो पाएंगे लेकिन सुखी और और भाग्यवान हो सकते हैं। लेकिन आपकी मित्रता कुछ गलत आचरण करने वालों से भी हो सकती है और आप उनकी संगति में कुछ अनैतिक काम करके धनलाभ कमाएंगे। आपको पुत्र सुख और धन का लाभ होगा।
यहां स्थित केतू सरकार के माध्यम से भी लाभ कराता है। लेकिन पिता के सुख में कमी लाता है। कभी-कभी आपके द्वारा किए गए धार्मिक कृत्य दिखावा मात्र होते हैं। आपके सहोदर या भाइयों को कष्ट मिलता है। सगे भाई भी अपको कष्ट पहुंचा सकते हैं। संतान संबंधी चिंता रह सकती है। आपके बाजुओं में कुछ कष्ट रह सकता है। दूसरे धर्म या देश के लोगों से लाभ पाने की इच्छा रहती है।
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3 years ago
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